सांचौर जिला रद्द करने का विरोध 20वें दिन जारी: पूर्व राज्यमंत्री सुखराम बिश्नोई के नेतृत्व में धरना
राजस्थान सरकार द्वारा सांचौर जिले को रद्द करने के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन 20वें दिन भी जारी रहा। शुक्रवार को गोलासन गांव के सैकड़ों ग्रामीणों ने पूर्व राज्यमंत्री सुखराम बिश्नोई के नेतृत्व में धरना दिया।
सांचौर. राजस्थान सरकार द्वारा सांचौर जिले को रद्द करने के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन 20वें दिन भी जारी रहा। शुक्रवार को गोलासन गांव के सैकड़ों ग्रामीणों ने पूर्व राज्यमंत्री सुखराम बिश्नोई के नेतृत्व में धरना दिया। प्रदर्शनकारियों ने इस फैसले को अन्यायपूर्ण बताते हुए सांचौर जिले को बहाल करने की मांग की।
पूर्व राज्यमंत्री सुखराम बिश्नोई ने कहा कि सरकार का यह निर्णय जनता की भावनाओं के खिलाफ है। उन्होंने कहा, "हम इस अन्यायपूर्ण निर्णय के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे और सांचौर जिले को फिर से स्थापित करवाएंगे।"
धरने के दौरान प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन एसडीएम को सौंपा। ज्ञापन में बताया गया कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा 28 दिसंबर 2024 को घोषित सांचौर जिला वर्तमान भाजपा सरकार द्वारा निरस्त कर दिया गया। प्रदर्शनकारियों ने सवाल उठाया कि किन मानदंडों पर यह निर्णय लिया गया, क्योंकि आबादी और भौगोलिक दूरी के आधार पर सांचौर जिला अत्यंत महत्वपूर्ण था।
ग्रामीणों ने अन्य नवगठित जिलों जैसे डीग, खैरथल, और सलूम्बर के उदाहरण दिए, जो आबादी के हिसाब से सांचौर के समकक्ष हैं। साथ ही, उनकी भौगोलिक निकटता को ध्यान में रखते हुए उन्हें जिले का दर्जा दिया गया। डीग भरतपुर से 35 किमी, खैरथल अलवर से 45 किमी, और सलूम्बर उदयपुर से 70 किमी दूर हैं। इसके विपरीत, सांचौर जालौर से 145 किमी और अंतिम गांव आकोड़िया रणखार से 250 किमी की दूरी पर है।
प्रदर्शनकारियों ने रामलुभाया कमेटी का हवाला देते हुए कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने दूरी और जनसंख्या जैसे तथ्यों को ध्यान में रखकर जिले बनाए थे। लेकिन वर्तमान सरकार का यह निर्णय पूरी तरह से अनुचित और बिना किसी ठोस आधार के है।
धरने में जिला बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष एडवोकेट भीमाराम चौधरी, हिंदू सिंह दूठवा, अर्जुन देवासी (पूर्व विधानसभा यूथ कांग्रेस अध्यक्ष), हिराराम देवासी, नरसीराम देवासी, वीरमाराम भील, भगराज देवासी, भगाराम मेघवाल, रणछोड़ाराम, मफाराम देवासी, और अन्य प्रमुख ग्रामीण नेता मौजूद रहे।
धरने में उपस्थित लोगों ने एकजुट होकर इस लड़ाई को जारी रखने का संकल्प लिया और सरकार से सांचौर जिले को बहाल करने की अपील की। ग्रामीणों ने कहा कि उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार इस निर्णय को वापस नहीं लेती।
इस विरोध प्रदर्शन में ग्रामीणों के साथ-साथ सामाजिक और राजनीतिक संगठनों का भी समर्थन मिल रहा है। आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने जल्द ही उनकी मांगों को नहीं माना तो आंदोलन को और व्यापक किया जाएगा।